
मराठा आरक्षण को लेकर मुंबई के आजाद मैदान में पांच दिनों तक अनशन करने वाले मनोज जरांगे को झटका लगा है. दरअसल, महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि हर किसी को कुणबी प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा. मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे पाटिल के आंदोलन को तुड़वाने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कुछ ऐसा फैसला कर दिया है, जो मनोज जरांगे पाटिल के लिए किसी झटके से कम नहीं है. मनोज जरांगे पाटिल ने अपना अनशन इसलिए तोड़ा था, क्योंकि देवेंद्र फडणवीस सरकार ने जरांगे की बात मानने की बात की थी, लेकिन अब फडणवीस ने ही ऐसा कुछ कह दिया है, जो मनोज जरांगे पाटिल के लिए धोखे जैसा है और अब हो सकता है कि जरांगे एक बार फिर अनशन के लिए खुद को तैयार करने लगें, क्योंकि उनके साथ खेल तो हो चुका है.
दरअसल महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का कोई सबसे बड़ा चेहरा है तो वो चेहरा है मनोज जरांगे पाटिल का. उनकी एक आवाज पर लाखों मराठा सड़क पर उतर जाते हैं और आंदोलन में शरीक होते हैं. ऐसा ही एक आंदोलन पिछले दिनों भीमनोज जरांगे पाटिल ने किया था, जिसमें मनोज खुद भूख हड़ताल पर बैठ गए थे. उनकी इकलौती बड़ी मांग थी कि मराठवाड़ा के सभी मराठों को ओबीसी का आरक्षण दिया जाए और इसके लिए सरकार सभी मराठाओं को कुनबी जाति में शामिल करे, जो पहले से ही ओबीसी का हिस्सा है और उन्हें ओबीसी आरक्षण का हक मिलता है.
मनोज जरांगे पाटिल ने अपनी इन्हीं मांगों को लेकर मुंबई का आजाद मैदान घेर लिया था. पांच दिनों तक वो हजारों लोगों के साथ आजाद मैदान में बैठे रहे. जब हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे को आजाद मैदान खाली करने को कहा और मनोज आंदोलन पर अड़ गए तो फडणवीस सरकार ने तय किया कि वो मनोज जरांगे की सभी मांगे मान लेगी और मराठा आरक्षण लागू करेगी. खुद मनोज जरांगे ने भी अपना अनशन खत्म करते हुए कहा कि सरकार ने मराठा आरक्षण की मांग मान ली है, लिहाजा आंदोलन खत्म किया जाता है.
लेकिन आंदोलन खत्म होने के हफ्ते दिन भी नहीं बीते थे कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के एक बयान ने इस पूरे आंदोलन पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. दरअसल मनोज जरांगे की मांग थी कि सभी मराठा को कुनबी में शामिल किया जाए और उन्हें आरक्षण दिया जाए, जबकि 7 सितंबर को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सभी मराठाओं को कुनबी में शामिल नहीं किया जा सकता है और न ही सभी मराठाओं को आरक्षण दिया जा सकता है.
अपनी बात को साफ करते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “मराठवाड़ा के सभी रिकॉर्ड्स हैदराबाद गैजेट में है. अंग्रेजों के रिकॉर्ड्स अवेलेबल नहीं हैं, इसलिए हमने फैसला लिया है कि हम हैदराबाद गैजेट के रिकॉर्ड्स के हिसाब से चलेंगे. जिसका नाम रिकॉर्ड में शामिल होगा, उसे ही सर्टिफिकेट दिया जाएगा. हर किसी को कुणबी प्रमाण पत्र नहीं मिलेगा.” फडणवीस ने ये फैसला ओबीसी के विरोध को देखते हुए किया है, क्योंकि ओबीसी समाज का मानना था कि मराठा को कुनबी जाति में लाकर ओबीसी के हक का आरक्षण मराठाओं को दिया जाएगा, जो उन्हें मंजूर नहीं है.
फडणवीस को भी ओबीसी विरोध का बखूबी एहसास था, तभी तो उन्होंने कहा, ”जो लोग रिकॉर्ड में शामिल हैं, उन्हें ही प्रमाण पत्र मिले, हमने ऐसा आसान प्रोसेस बनाया है. इस वजह से मराठा समाज में जिसके पास सही रिकॉर्ड है, वो वंचित नहीं रहेगा, उसे ही लाभ मिलेगा. ओबीसी समाज की थाली में से कुछ भी निकाला नहीं जाएगा. इस फैसले से मराठा समाज का हित तो हुआ ही है, साथ ही ओबीसी समाज का भी अहित होने नहीं दिया है. जबतक हमारी सरकार है कुछ भी हो जाए लेकिन ओबीसी का अहित होने नहीं देंगे.” लेकिन फडणवीस के इस बयान से मराठा आंदोलन को बड़ा झटका लगा है. क्योंकि मनोज जरांगे पाटिल ने इसी शर्त पर अपना अनशन खत्म किया था कि सभी मराठाओं को आरक्षण मिलेगा. लेकिन अब सीएम ने कह दिया है कि हैदराबाद गजट के हिसाब से ही आरक्षण मिलेगा, जिससे बहुत से मराठा इस आरक्षण से वंचित रह जाएंगे. जबकि जरांगे की मांग थी कि अगर किसी मराठा को कुनबी में शामिल कर उसे आरक्षण दिया जा रहा है, तो उसके रिश्तेदारों को भी आरक्षण मिलना चाहिए. लेकिन अब सरकार के ऐलान ने इसमें पेच फंसा दिया है. और ऐसे में हो सकता है कि मनोज जरांगे पाटिल एक बार फिर से सरकार के लिए चुनौती बन जाएं, क्योंकि उनकी मांग मानी तो गई है, लेकिन वो फिलवक्त आधी-अधूरी ही दिख रही है.