अनशन तुड़वा CM देवेंद्र फडणवीस ने मनोज जरांगे के साथ फिर बड़ा खेल कर दिया!

ये कदम ऐसे वक्त पर उठाया जा रहा है जब भारत पर अमेरिकी हाई टैरिफ का दबाव है. और व्हाइट हाउस लगातार यूरोपीय यूनियन पर यह दबाव बना रहा है कि वे रूस से तेल खरीदने के चलते भारत पर अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाएं. अमेरिका की तरफ से भारत के ऊपर 25 प्रतिशत टैरिफ के अलावा रूस से कच्चे तेल की खरीदारी के चलते पैनाल्टी के तौर पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया है. इसकी वजह से कुल दरें 50 प्रतिशत हो चुकी हैं. भारत पर लगाए गए हाई टैरिफ ने अमेरिकी बाजार में भारतीय एक्सपोर्टर्स के लिए कंपीटिशन को काफी कड़ा कर दिया है. यानी वियतनाम या फिर बांग्लादेश और पाकिस्तान के एक्सपोर्टर्स के सामने भारत का बने रहना मुश्किल हो रहा है.

भारत-EU फ्री ट्रेड एग्रीमेंट

इस बीच भारत और यूरोपीय यूनियन के बीच महत्वाकांक्षी मुक्त व्यापार समझौते को लेकर प्रयास तेज किए जा रहे हैं और सभी लंबित मतभेदों को दूर करने के लिए अगले महीने दो महत्वपूर्ण बैठकें निर्धारित की गई हैं. अधिकारियों के मुताबिक इस हफ्ते यूरोपीय अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आने वाला है. जहां पर वे उन मतभेद वाले मुद्दों पर जैसे मार्केट एक्सेस, कृषि उत्पादों पर सीमा शुल्क और खासकर शराब और डेयरी पर चर्चा कर सकते हैं.

नए बाजार पर नई दिल्ली की नजर

दरअसल दोनों पक्षों की कोशिश है कि बातचीत को इस साल के आखिर तक अंजाम दिया जाए. क्योंकि ट्रंप टैरिफ के प्रभाव की वजह से नई दिल्ली नई मार्केट की तलाश में है. भारत का यूरोपीय यूनियन बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में करीब 135 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू चुका है.

ऐसा माना जा रहा है कि भारत को लेकर यूरोपीय यूनियन अपने नए विजन का खाका 17 सितंबर को पेश करेगा. और औपचारिक तौर पर इसका ऐलान अगले महीने की शुरुआत में होने जा रहे सम्मेलन में किया जा सकता है.

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