पंजाब में हाल के दिनों में किसानों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर उठाए गए मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), फसलों के सही दाम और अन्य कृषि संबंधी नीतियां शामिल हो सकती हैं।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने किसानों के मुद्दों पर चर्चा के लिए कल शाम 4 बजे चंडीगढ़ में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। इस बैठक में विभिन्न किसान संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बैठक का उद्देश्य किसानों की समस्याओं को सुनना और उनके समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाना है।
हाल के दिनों में किसानों द्वारा विभिन्न मांगों को लेकर उठाए गए मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी), फसलों के सही दाम और अन्य कृषि संबंधी नीतियां शामिल हो सकती हैं। मुख्यमंत्री की यह बैठक किसानों के साथ संवाद स्थापित करने और राज्य में कृषि क्षेत्र की चुनौतियों को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल मानी जा रही है।
इससे पहले सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने बैठक की थी। यह बैठक किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल की अध्यक्षता में हुई। इसमें आढ़ती व राइस मिलर्स एसोसिएशन, मजदूर यूनियन और व्यापार मंडल के पदाधिकारियों ने भी हिस्सा लिया।
बैठक में फैसला लिया गया कि एक अक्तूबर से धान की खरीद शुरू होनी थी, लेकिन अभी तक इसका काम बहुत धीमी गति से चल रहा है। साथ ही मंडियों से धान की लिफ्टिंग का काम भी बंद है, जिसके चलते किसानों की फसल खराब हो रही है। यही कारण है कि संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से 18 अक्तूबर को चंडीगढ़ में सीएम आवास के बाहर पक्का मोर्चा लगाया जाएगा।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने किसान भवन में प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि एक हजार किसान, मजदूर, आढ़ती व राइस मिलर्स के पदाधिकारी सीएम आवास जाएंगे और तब तक वह यह मोर्चा जारी रखेंगे, जब तक कि धान की खरीद व उठान का काम शुरू नहीं हो जाता है।
पंजाब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब खरीफ सीजन शुरू होने के इतने दिन बाद भी मंडियों में किसानों की फसल पड़ी है और वह खराब हो रही है। राजेवाल ने कहा कि इसके अलावा वह मंडियों में आने वाले आम आदमी पार्टी की सरकार के सभी मंत्रियों व विधायकों का काले झंडे दिखाकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसी तरह सभी आढ़तियों ने मंडियों में काले झंडे लगाने का फैसला भी लिया है।