वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ बीजेपी के सहयोगी दलों के नेता भी पहुंचे SC, बताया किन बदलावों से है ऐतराज

जेडीयू नेता परवेज सिद्दीकी ने भी याचिका दाखिल की है. उनका कहना है कि अगर कोई अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति इस्लाम को अपना लेता है, तो उसे अपनी संपत्ति को वक्फ करने से रोकना गलत है. मणिपुर में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी पार्टी नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) के विधायक शेख नुरुल हसन ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. यह पहला मौका नहीं है जब बीजेपी की किसी सहयोगी पार्टी के नेता ने वक्फ कानून के विरोध में याचिका दाखिल की है. इससे पहले जेडीयू नेता परवेज सिद्दीकी भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं.

नुरुल हसन की याचिका में अनुसूचित जनजाति के लोगों की जमीन को वक्फ करने पर लगी पांबदी का विरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि अगर कोई अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति इस्लाम को अपना लेता है, तो उसे अपनी संपत्ति को वक्फ करने से रोकना गलत है. याचिकाकर्ता ने वक्फ की जा चुकी संपत्ति में उत्तराधिकार कानून के प्रावधानों को बनाए रखने को भी गलत बताया है. कम से कम 5 साल से मुस्लिम बन चुके व्यक्ति को ही वक्फ का अधिकार देने का भी विरोध इस याचिका में किया गया है. वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अब तक 20 से ज्यादा याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हो चुकी हैं. कुछ मुस्लिम संगठनों और लोगों को छोड़े दें तो इन याचिकाओं में से ज्यादातर विपक्षी दलों के नेताओं की है. अब बीजेपी की सहयोगी 2 पार्टियों के नेता भी कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुके हैं. 16 अप्रैल को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच मामले पर सुनवाई करेगी.

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