
उत्तर प्रदेश सरकार ने यह योजना 2022 में शुरू की थी. यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” के संकल्प से प्रेरित है.
उत्तर प्रदेश में गांवों की तस्वीर अब बदल रही है. योगी सरकार की मातृभूमि योजना के जरिए लोग अब खुद आगे आकर अपने गांवों को संवारने में जुटे हैं. खास बात यह है कि जो लोग अब किसी कारणवश अपने गांवों से दूर या विदेशों में बस गए हैं, वे भी इस योजना के जरिए अपने गांव के विकास में भागीदार बन पा रहे हैं. इस योजना में सरकार और दानदाता मिलकर विकास कार्य कराते हैं, जिसमें दानदाता 60 फीसदी और सरकार 40 फीसदी सहयोग करती है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर शुरू हुई यह योजना ग्रामीण विकास की एक नई मिसाल बन गई है. अब गांवों में खेल मैदान, ओपन जिम, सीसी सड़कें, हाईमास्ट लाइट, आंगनबाड़ी केंद्र, लाइब्रेरी, कन्या इंटर कॉलेज, कला अकादमी जैसी सुविधाएं बनाई जा रही हैं. इस योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें भाग लेने वाले व्यक्ति या परिवार का नाम निर्माण स्थल पर शिलापट्ट पर दर्ज किया जाता है, ताकि उनके योगदान को पीढ़ियां याद रखें.
प्रदेश के कई जिलों में चल रहे हैं काम
बुलन्दशहर में खेल परिसर का निर्माण करीब 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. उन्नाव में कला अकादमी का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है. बिजनौर में कन्या इंटर कॉलेज की नींव पड़ चुकी है और बागपत में सीसी रोड का निर्माण हो रहा है. लखनऊ में हाईमास्ट लाइट लगाई जा रही है. अब तक 16 विकास योजनाएं पूरी की जा चुकी हैं, जबकि 18 निर्माणाधीन हैं और 26 प्रस्तावित हैं.
कौन-कौन से कार्य हो सकते हैं?
मातृभूमि योजना के तहत सामुदायिक भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, लाइब्रेरी, ओपन जिम, आरओ प्लांट, सोलर लाइट, सीसीटीवी कैमरे, सीवर लाइन, दूध डेयरी, अग्निशमन केंद्र, बस स्टैंड, यात्री शेड, शौचालय, कौशल विकास केंद्र, पशु प्रजनन केंद्र, श्मशान घाट आदि बनवाए जा सकते हैं.
मातृभूमि से जुड़ने की एक मिसाल
सरकार का उद्देश्य है कि गांव से दूर रह रहे लोग भी अपनी जड़ों से जुड़े रहें. ये लोग केवल आर्थिक सहायता नहीं दे रहे, बल्कि गांव की भावनाओं से जुड़कर उसे बेहतर बना रहे हैं. यह योजना सरकार और जनता के साझा प्रयासों का बेहतरीन उदाहरण है, जो ग्रामीण उत्तर प्रदेश को आत्मनिर्भर और आधुनिक बना रहा है.