‘मैं चाहे कितनी भी शांति करा लूं, लेकिन…’, कांगो-रवांडा पीस डील के बाद छलका ट्रंप का दर्द; जताई नोबेल पुरस्कार की इच्छा

डोनाल्ड ट्रंप ने एक पोस्ट में खुद को नोबेल शांति पुरस्कार न दिए जाने पर निराशा जताई. उन्होंने भारत-पाकिस्तान, सर्बिया-कोसोवो, और मध्य पूर्व समझौते सहित कई शांति प्रयासों का उल्लेख किया. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर को लेकर चर्चा में रहे. उन्होंने कई मौकों पर दावा किया है कि उनकी वजह से दुनिया के दो परमाणु संपन्न देशों की बीच सीजफायर हुआ. हालांकि उनके इस दावे का भारत ने खंडन कर दिया. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने खुद को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं दिए जाने पर निराशा जताई है. 

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट पर कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों का हवाला दिया, जिनमें वे अपने योगदान का दावा करते हैं. उन्होंने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और रवांडा गणराज्य के बीच संधि, भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध को रोकने, सर्बिया और कोसोवो के बीच युद्ध रोकने, मिस्र और इथियोपिया के बीच शांति बनाए रखने और इजरायल और अरब देशों के बीच शांति समझौता (अब्राहम समझौता) के लिए शांति पुरस्कार मिलने की बात कही. ट्रंप ने कहा इन सभी प्रयासों के बावजूद नोबेल समिति ने उन्हें नजरअंदाज किया, लेकिन लोग जानते हैं और यही मेरे लिए मायने रखता है.

ट्रंप ने आसिम मुनीर को व्हाइट हाउस में कराया लंच

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में पाकिस्तानी आर्मी जनरल आसिम मुनीर से व्हाइट हाउस में लंच पर मुलाकात की थी, जो एक चर्चा का विषय था. ये भारत-पाकिस्तानी युद्ध के सीजफायर के बाद पहली बार था, जब ट्रंप ने किसी बड़े पाकिस्तानी अधिकारी से मुलाकात की थी. हालांकि, मुलाकात के दौरान उन्होंने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध विराम में आसिम मुनीर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आपसी समझदारी काम आई थी.

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