मध्य प्रदेश के CM मोहन यादव का स्वदेशी मंत्र, निकाली तिरंगा रैली

MP News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रवींद्र भवन में स्वदेशी जागरण सप्ताह का उद्घाटन किया. जन-अभियान परिषद और स्वदेशी जागरण मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने तिरंगा रैली निकाली. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने रवींद्र भवन में राज्य स्तरीय स्वदेशी जागरण सप्ताह का उद्घाटन किया. मध्यप्रदेश जन-अभियान परिषद और स्वदेशी जागरण मंच ने इस अभियान की शुरुआत की है. इस अवसर पर सीएम डॉ. मोहन ने तिरंगा थामकर रैली निकाली. रैली में लगभग 300 लोग शामिल हुए. स्वदेशी जागरण सप्ताह प्रदेश के 313 विकासखंडों में 2 अक्टूबर तक चलेगा.

इस दौरान सीएम डॉ. यादव ने महात्मा गांधी और जनसंघ संस्थापक पंडित दीन दयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने दोनों की समानताओं पर भी प्रकाश डाला. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को स्वदेशी अभियान का ब्रांड एंबेसडर कहा. सीएम डॉ. यादव ने कहा कि दुनिया भारत पर निर्भर है. इसलिए भारत को स्वदेशी की सच्ची शक्ति समझनी चाहिए. हमें स्वावलंबन की ज्योति हमेशा जलाए रखनी होगी. इस मौके पर उन्होंने लंका विजय के बाद भगवान राम और लक्ष्मण के संवाद का उल्लेख किया.

‘स्वदेशी के सिद्धांत पर ही पड़ीआजादी के आंदोलन की नींव’

सीएम डॉ. मोहन यादव ने कहा कि स्वदेशी को हम कैसे भूल सकते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वदेशी अभियान के ब्रांड एंबेसडर हैं. आजादी के आंदोलन की नींव स्वदेशी के सिद्धांत पर ही पड़ी. आजादी से पहले महात्मा गांधी ने चरखे से सूत कातकर विदेशी कपड़ों की होली जलाई. उन्होंने देशभर में स्वदेशी और आजादी का नारा बुलंद किया. हमारे लिए गर्व की बात है कि आज पंडित दीन दयाल उपाध्याय की 109वीं जयंती है. पंडित उपाध्याय जनसंघ के संस्थापक थे. वे एकात्म मानववाद के प्रणेता भी थे.

‘हमें सिखना होगा अपनी मिट्टी से प्रेम करना’

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन ने कहा कि हिरण्यकशिपु में ताकत थी. लेकिन प्रह्लाद ने संकल्प से हर बाधा पार की. स्वदेशी अभियान के लिए भी यही संकल्प चाहिए. हमारी संस्कृति स्वदेशी की शक्ति से हजारों साल से खड़ी है. इस अवसर पर सीएम डॉ. यादव ने शेर पढ़ा, ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी.’ हम हर युग में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी से दुनिया को जीते हैं. उन्होंने कहा कि लंका जीतने पर लक्ष्मण ने राम से कहा कि देश की भव्यता और सोने का उपयोग करें. तब राम बोले, ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी.’ हमारी जन्मभूमि सबसे ऊपर है. हमें अपनी मिट्टी से प्रेम करना सिखना होगा.

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