नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में हुई जोरदार बहस, जानें आज किस वकील ने दी क्या दलील

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून-2025 पर तीखी बहस हुई। कपिल सिब्बल, राजीव धवन और अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने कानून को चुनौती दी, जबकि एसजी तुषार मेहता ने इसका बचाव किया। आइए, जानते हैं आज कोर्ट में दिन भर क्या हुआ। वक्फ संशोधित कानून-2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है। बुधवार को CJI संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि हम सभी को नहीं सुन सकते, इसलिए तय कर देंगे कि कौन बहस करेगा। उन्होंने कहा, ‘हम एक-एक कर नाम लेंगे। कोई भी दलील दोहराएगा नहीं। तमाम रिट याचिकाएं हैं और सभी ब्रीफ नोट तैयार करेंगे। दूसरा, किन आधारों पर तर्क रखेंगे।’ वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि मैं वरिष्ठ हूं, मुझे मौका दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी डेकोरम बनाए रखें। सीजेआई ने कहा, ‘दो सवाल हैं, क्या मामला हाईकोर्ट भेजें? आपके तर्कों के आधार क्या हैं?’ आइए, अब जानते हैं सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा?

क्या रहीं कपिल सिब्बल की दलीलें

मौलाना अरशद मदनी की जमीयत उलेमा ए हिन्द के वकील के तौर पर पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ‘यह अनुच्छेद मूवेबल और इमूवेबल संपत्ति जो धर्म संबंधी है, उन्हें संरक्षित करता है। मैं मोटे तौर पर बता दूं कि चुनौती किस बारे में है। संसदीय कानून के माध्यम से जो करने की कोशिश की जा रही है, वह एक धर्म के आवश्यक और अभिन्न अंग में हस्तक्षेप करना है। मैं अनुच्छेद 26 का उल्लेख करता हूं और अधिनियम के कई प्रावधान अनुच्छेद 26 का उल्लंघन करते हैं। वक्फ के मामले में पर्सनल लॉ लागू होता है और मैं ऐसे में किसी अन्य का अनुसरण क्यों करूंगा? 2025 अधिनियम की धारा 3(आर) का संदर्भ देते हुए- वक्फ की परिभाषा देखिए।’ सिब्बल ने पढ़ा, ‘यदि मैं वक्फ स्थापित करना चाहता हूं, तो मुझे यह दिखाना होगा कि मैं 5 वर्षों से इस्लाम का पालन कर रहा हूं। यदि मैं मुस्लिम पैदा हुआ हूं, तो मैं ऐसा क्यों करूंगा? मेरा व्यक्तिगत कानून लागू होगा।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनौती बिंदुवार बताई जानी चाहिए। सिब्बल ने कहा कि वह धारा 3(आर) को चुनौती दे रहे हैं, और यह प्रावधान कि “उपयोगकर्ता द्वारा मौजूदा वक्फ विवाद या सरकारी संपत्ति को छोड़कर वक्फ के रूप में रहेगा” को भी चुनौती दी जा रही है। सिब्बल ने कहा, ‘आखिर मैं राज्य के अधीन क्यों रहूंगा, जबकि पर्सनल लॉ इस्लाम का है?’ सिब्बल ने आगे कहा कि धारा 3(ए)(2) में वक्फ-अल-औलाद के गठन से महिलाओं को विरासत से वंचित नहीं किया जा सकता, और इस बारे में कहने वाला राज्य कौन होता है?

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