
बढ़ते वायु प्रदूषण और बिगड़ती सफाई व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता एमसीडी से नाराज हैं। दोनों महत्वपूर्ण मोर्चों की कमान दिल्ली सरकार ने अपने हाथों में ले ली है। 11 नवंबर को समीक्षा बैठक के बाद सरकार इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि एमसीडी इन मोर्चों पर अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पा रही है।
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों के साथ मिलकर खुद ग्राउंड स्तर पर सफाई और प्रदूषण नियंत्रण की निगरानी करने का फैसला किया है। सीएम ने हाल में आयोजित उच्च-स्तरीय बैठक में एमसीडी के कामकाज पर तीखी नाराजगी जताई थी। बैठक में यह तथ्य सामने आया था कि धूल-नियंत्रण मशीनें पूरी क्षमता से नहीं चल रहीं, कई वार्डों में कूड़ा उठाने में देरी हो रही है और सड़क धुलाई का सिस्टम लगभग ठप पड़ा है।
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा था कि दिल्ली प्रदूषण के गंभीर दौर में है। ऐसे में किसी भी विभाग की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जा सकती लेकिन सिर्फ नाराजगी जताना ही पर्याप्त नहीं था। बैठक के चार दिन बाद भी जब कई इलाकों से सुधार की रिपोर्ट संतोषजनक नहीं मिली, तो मुख्यमंत्री ने सीधे हस्तक्षेप का निर्णय लिया।
सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से यह संदेश साफ कर दिया गया है कि अब प्रदूषण नियंत्रण और सफाई व्यवस्था की जिम्मेदारी केवल एमसीडी की नहीं, बल्कि सीधे दिल्ली सरकार की निगरानी में होगी। सरकार ने तय किया है कि सोमवार को सभी छह मंत्री विभिन्न क्षेत्रों में सफाई और प्रदूषण नियंत्रण व्यवस्था की प्रत्यक्ष समीक्षा करने पहुंचे।
एमसीडी को चेतावनी
दिल्ली सरकार में बैठक के बाद एमसीडी आयुक्त ने भले ही जोनल उपायुक्तों के साथ आपात बैठक कर निर्देश जारी कर दिए हों लेकिन सरकार उस पर भरोसा करने को तैयार नहीं दिख रही। एमसीडी को साफ संदेश दिया गया है कि अब कामकाज की जिम्मेदारी और उसकी निगरानी दोनों सरकार के हाथ में रहेगी। दिल्ली में जैसे-जैसे हवा खराब होती जा रही है, वैसे-वैसे आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के नेता दिल्ली सरकार को निशाने पर ले रहे हैं। विपक्ष का आरोप है कि सरकार प्रदूषण नियंत्रण पर ढीली पड़ी है। ऐसे में मुख्यमंत्री के सफाई और प्रदूषण नियंत्रण का मोर्चा खुद संभालना राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण निर्णय माना जा रहा है।



