दिल्ली में नकली कनाडाई वीजा के मामले में हरियाणा का एजेंट गिरफ्तार, IGI एयरपोर्ट पुलिस की बड़ी कार्रवाई

IGI एयरपोर्ट पुलिस ने 15 लाख रुपये लेकर नकली कनाडाई वीजा देने वाले एजेंट विशाल दत्त को हरियाणा से गिरफ्तार किया. यात्री ताइपेई से डिपोर्ट होकर दिल्ली पहुंचा था. दिल्ली में IGI एयरपोर्ट पुलिस ने फर्जी वीजा रैकेट के खिलाफ कार्रवाई करते हुए हरियाणा के यमुनानगर निवासी एक एजेंट विशाल दत्त ऊर्फ विशु उम्र 30 साल को गिरफ्तार किया है, जिसने एक यात्री के पासपोर्ट पर नकली कनाडाई वीजा लगवाकर उसे विदेश भेजने का प्रयास किया था. यह मामला FIR संख्या 455/25 दिनांक 24 जून 2025 के तहत PS IGI एयरपोर्ट, नई दिल्ली में दर्ज किया गया था.

DCP IGI के मुताबिक, 23-24 जून 2025 की रात को एक भारतीय यात्री तरसेम लाल (उम्र 47 साल), निवासी गांव मेहर माजरा, यमुनानगर, ताइपेई से डिपोर्ट होकर दिल्ली के IGI एयरपोर्ट पहुंचा. इमिग्रेशन जांच में उसके पासपोर्ट पर नकली कनाडाई वीजा पाया गया. इस आधार पर उसे तुरंत हिरासत में लिया गया और जांच शुरू की गई.

कनाडा जाकर रोजगार पाना चाहता था

DCP ने जानकारी दी कि पूछताछ में तरसेम लाल ने बताया कि उसके कई रिश्तेदार कनाडा में बस चुके हैं और वह भी वहां जाकर रोजगार पाना चाहता था. इसी उद्देश्य से उसने अपने गांव के एजेंट विशाल दत्त से संपर्क किया, जिसने 15 लाख रुपये में कनाडा भेजने का वादा किया.

तरसेम लाल ने 1 लाख रुपये एजेंट के बैंक खाते में, 1.5 लाख रुपये UPI के जरिए एजेंट की पत्नी के खाते में और 3.5 लाख रुपये नकद भुगतान किया. बाकी राशि कनाडा पहुंचने के बाद देने की बात हुई थी. 11 मई 2025 को तरसेम लाल दिल्ली से मलेशिया गया, जहां उसका पासपोर्ट एजेंट के सहयोगी ने ले लिया और कुछ समय बाद उस पर नकली कनाडाई वीजा लगाकर लौटा दिया.

कई ठिकानों पर छापेमारी की गई

इसके बाद उसकी यात्रा इंडोनेशिया, बैंकॉक और फिर ताइपेई तक कराई गई, जहां ताइवान की इमिग्रेशन टीम ने फर्जी वीजा को पकड़ लिया और उसे डिपोर्ट कर भारत भेज दिया गया. DCP ने कहा कि एक विशेष टीम का गठन SHO इंस्पेक्टर सुशील गोयल, SI राजेश और कांस्टेबल कलेक्टर के नेतृत्व में ACP/IGI एयरपोर्ट की निगरानी में किया गया.

गिरफ्तार यात्री के बयान और तकनीकी निगरानी के आधार पर कई ठिकानों पर छापेमारी की गई. आखिरकार, आरोपी विशाल दत्त को यमुनानगर, हरियाणा से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में उसने कबूल किया कि वह केवल आठवीं पास है और साल 2022 से फर्जी एजेंटों के संपर्क में है. वह जल्दी पैसा कमाने के लालच में इस अवैध धंधे में शामिल हो गया था.

अन्य पीड़ितों की पहचान की जा रही है

फिलहाल, पुलिस मामले में अन्य एजेंटों की भूमिका, लेन-देन से जुड़े बैंक खातों की जांच और अन्य पीड़ितों की पहचान की जा रही है. टीम का प्रयास इस पूरे गिरोह को बेनकाब करने का है. DCP IGI उषा रंगनानी ने सभी यात्रियों और आमजन से अपील की है, विदेश यात्रा हेतु केवल अधिकृत एजेंसियों से ही दस्तावेज बनवाएं.

सस्ते ऑफर और जल्दी विदेश भेजने के झांसे में न आएं. दस्तावेजों की प्रामाणिकता की जांच करें ताकि कानूनी झंझट और विदेश यात्रा में रुकावट से बचा जा सके.

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