रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की तरफ देश ने एक और कदम बढ़ाया। रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को लड़ाकू विमान सुखोई-30एमकेआइ के 240 एयरो-इंजन की खरीद के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की एयरोस्पेस कंपनी हिंदुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ 26,000 करोड़ रुपये का समझौता किया। एयरो-इंजन का निर्माण एचएएल के कोरापुट डिवीजन द्वारा किया जाएगा। इससे वायु सेना को सुखोई-30 बेड़े की परिचालन क्षमता को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी की उपस्थिति में मंत्रालय और एचएएल के वरिष्ठ अधिकारियों ने अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। अनुबंध के तहत एचएएल प्रति वर्ष 30 एयरो इंजन की आपूर्ति करेगा। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सभी 240 इंजनों की आपूर्ति अगले आठ वर्षों में पूरी हो जाएगी। मंत्रालय ने कहा- ‘आपूर्ति कार्यक्रम के अंत तक एचएएल स्वदेशीकरण सामग्री को 63 प्रतिशत तक बढ़ा देगा, जिससे इसका औसत 54 प्रतिशत से अधिक हो जाएगा।
लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन की संख्या घटकर हुई 30
इससे एयरो इंजन के मरम्मत कार्यों में स्वदेशी सामग्री को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।’ इंजनों के लिए यह सौदा वायुसेना के लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन में कमी आने और एचएएल द्वारा तेजस विमान की आपूर्ति में देरी संबंधी चिंताओं के बीच हुआ है। वायुसेना के लड़ाकू विमानों के स्क्वाड्रन की संख्या घटकर लगभग 30 रह गई है जबकि इनकी आधिकारिक स्वीकृत संख्या कम से कम 42 है।