
जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से वर्ष 2021 में घोषित न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम का लाभ समाप्त होने के बाद से प्रदेश में थमे औद्योगिक निवेश को फिर गति देने की कवायद शुरू हो गई है।
स्कीम के तहत केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में निवेश करने वालों को वित्तीय लाभ देने के लिए 28 हजार 400 करोड़ रुपये का पैकेज दिया था और इस पैकेज के तहत प्रदेश में करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये के निवेश के प्रस्ताव आए और चार सालों में दस हजार 500 करोड़ रुपये का निवेश हुआ।
सितंबर 2024 में वित्तीय पैकेज का लाभ आवंटित होने के साथ ही इस स्कीम को बंद कर दिया गया जिसके बाद से नया निवेश थम गया। इस निवेश को जारी रखने के लिए जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 28,400 करोड़ रुपये के पैकेज को बढ़ाकर 75 हजार करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था लेकिन पिछले साल के बजट में केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई घोषणा नहीं की गई।
अब एक बार फिर से पैकेज के विस्तारीकरण को लेकर प्रयास तेज हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार इस मामले पर केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एपेक्स कमेटी गठित की गई है और इसी महीने इस एपेक्स कमेटी की बैठक है जिसके बाद कमेटी केंद्रीय गृह मंत्री को अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
सूत्रों की माने तो इसी महीने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में भी एक बैठक होगी जिसमें जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहेंगे। इस बैठक में चर्चा के बाद वित्त मंत्रालय से पैकेज को विस्तार देने की सिफारिश की जाएगी।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार दिसंबर माह में ही यह प्रक्रिया पूरी करेगी ताकि आगामी बजट में इस पर कोई संभावित घोषणा हो सके।
प्रदेश में निवेश के 8306 आवेदन लंबित है
दिसंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में 9606.46 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 1984 औद्योगिक इकाईयों ने उत्पादन शुरू किया जिससे 63 हजार 710 लोगों को रोजगार मिला। वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2977 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 334 इकाईयों ने उत्पादन शुरू किया जिससे 8443 लोगों को रोजगार मिला। उद्योग और वाणिज्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार अभी भी विभाग के पास 1.63 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव के साथ 8306 आवेदन लंबित पड़े हैं जो केंद्र सरकार की ओर से आर्थिक पैकेज मिलने के इंतजार में है।
कई बड़ी कंपनियां निवेश से पीछे हटी
न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम का लाभ समाप्त होने के बाद पिछले एक साल में कई बड़ी कंपनियों ने जम्मू-कश्मीर में निवेश करने से कदम पीछे हटा लिए है। श्रीलंका के क्रिकेटर मुथैया मुरलीधरन ने एल्यूमिनियम कैन निर्माण और बाटलिंग प्लांट के लिए कठुआ में 206 कनाल जमीन ली थी और कंपनी ने 1600 करोड़ रुपये का निवेश करना था लेकिन औद्योगिक पैकेज के तहत 300 प्रतिशत जीएसटी लिंक्ड लाभ न मिलने के कारण कंपनी ने जमीन सरेंडर कर दी।
इसी तरह जम्मू-कश्मीर में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए, सौर ऊर्जा कंपनी ग्रू एनर्जी ने कठुआ में 3.2 गीगावाट सौर माड्यूल विनिर्माण सुविधा स्थापित करने के लिए 4500 करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनाई थी।
कंपनी को जमीन भी अलाट हुई और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने बकायदा नींव पत्थर भी रखा लेकिन अंत में पैकेज लाभ न मिलने के कारण कंपनी ने काम आगे नहीं बढ़ाया। भीलवाड़ा ग्रुप, हल्दीराम ग्रुप और एडवांस पालीफिल्म्स की भी यहीं कहानी रही और जमीन अलाटमेंट से प्रक्रिया आगे न बढ़ने के कारण करोड़ों रुपये का निवेश नहीं हो पाया।
एनसीएसएस के लाभ
न्यू सेंट्रल सेक्टर स्कीम निवेशकों को आकर्षक वित्तीय प्रोत्साहन देती है, जैसे पूंजीगत ब्याज अनुदान (कैप्टिल इंट्रस्ट सब्सिडी) और जीएसटी-लिंक्ड प्रोत्साहन, जिससे नई इकाइयों को 50 करोड़ तक के निवेश पर 7.5 करोड़ तक का प्रोत्साहन और 6 प्रतिशत ब्याज सब्सिडी मिलती है, जिससे लागत कम होती है, प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और क्षेत्र में रोजगार व संतुलित विकास होता है। इसकी सबसे बड़ी खूबी 300 प्रतिशत जीएसटी लिंक्ड लाभ है।



