
भारत और पाकिस्तान के बीच फिलहाल सीजफायर है। ऐसे में आज दोनों देशों के बीच डीजीएमओ लेवल की बैठक होने जा रही है, जिसमें भारत ने साफ कर दिया है कि कश्मीर, सिंधु जल समझौते पर बात नहीं होगी।
पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान में छिपे आतंकवादी ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर का उल्लंघन किया गया और भारत में कई मिसाइल दागे गए, जिसे भारतीय डिफेंस सिस्टम ने हवा में ही मार गिराया। इसके बाद भारतीय सेनाओं ने कार्रवाई करना शुरू किया, जिसके बाद पाकिस्तान के कई एयरबेस, रडार सिस्टमों को भारतीय सेना ने तबाह कर दिया। इसके बाद डरा-सहमे पाकिस्तान के डीजीएमओ ने भारत के डीजीएमओ से हॉटलाइन पर बात की। इसके बाद दोनों देशों के बीच सीजफायर पर सहमति बनी।
थोड़ी देर में शुरू होगी डीजीएमओ लेवल की बैठक
इस बीच आज यानी 12 मई को दोनों देशों के बीच डीजीएमओ स्तर की बैठक होने वाली है। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा साफ और स्पष्ट कर दिया गया है कि इस बैठक केवल दोनों देशों के डीजीएमओ लेवल की होगी। इस बैठक में पाकिस्तान से सिर्फ पीओके के मुद्दा पर बात होगी, ना कि कश्मीर के मुद्दे पर। इसके अलावा इस बैठक में सिंधु जल समझौते पर भी बात नहीं होगी। वहां सेना द्वारा भी साफ संदेश दिया जा चुका है कि अगर गोली पाकिस्तान की तरफ से चलेगी तो भारत की तरफ से भी गोली चलेगी। बता दें कि भारत अपनी शर्तों पर इस सीजफायर को करना चाहता है। ऐसे में 12 बजे दोनों देशों के डीजीएमओ बैठक करने वाले हैं।
भारत की चेतावनी
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम समझौते के बावजूद, सूत्रों ने चेतावनी दी है कि किसी भी उल्लंघन का ‘परिणाम’ भुगतना होगा, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर अभी भी सक्रिय है। भारत ने पहलगाम में हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया, “10 मई को सीजफायर पर सहमति जताने के बावजूद, उन्होंने (पाकिस्तान) ड्रोन और मिसाइलें भेजीं। उन्हें पता होना चाहिए कि उल्लंघन के परिणाम होंगे। ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है।” सूत्रों ने बताया कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के सफल क्रियान्वयन के माध्यम से एक कड़ा संदेश दिया है कि पाकिस्तान में कोई भी स्थान आतंकवादियों या उनके समर्थकों को शरण नहीं दे सकता है।