किश्तवाड़ में आपदा ने चिशोती गांव के 38 किसानों की छीन ली जमीन

किश्तवाड़ का चिशोती… इस मानसून में गांव ने अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी झेली। 14 अगस्त को आसमान से गिरी आफत ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली। जो लोग जिंदा बच गए उन्हें बाढ़ ने बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। गांव के 38 किसानों की खेती की सारी जमीन खत्म हो गई है। इनमें से 14 किसान ऐसे हैं जिनके घर मलबे का ढेर बन गए हैं। इन किसानों के पास न घर हैं और न अन्न उगाने के लिए जमीन। आसमान के नीचे जीवन जीने को मजबूर हैं। पूरी तरह टूट चुके इन किसानों को इस रात की कोई सुबह नजर नहीं आ रही।

चिशोती में करीब 45 कनाल भूमि आपदा के प्रचंड प्रवाह में बह गई है। मढ़वा उपमंडल के वाड़वन इलाके में लगभग 350 कनाल भूमि पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। इस पर मक्का और आलू सहित अनेक फसलें लगी थीं। मढ़वा के डीडीसी सदस्य जफरुल्ला शेख ने भी स्वीकार किया कि वाड़वन में 350 कनाल से अधिक भूमि तबाह हो गई है। इस सबका ब्योरा तैयार कराया जा रहा है।

भविष्य को लेकर निराशा में डूबे किसान
चिशोत के किसान जमील सिंह कहते हैं कि जब भूमि और मकान दोनों आपदा में समा जाएं जीवन का कोई मकसद ही नहीं नजर आता। आपदा के बाद हमारी जिंदगी में जो अंधेरा छा गया है उसकी कोई सुबह नजर नहीं आती।

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