‘ऑपरेशन सिंदूर’ का सम्मान, यूपी के इस जिले में दो दिन में जन्मी 17 बच्चियों का नाम पड़ा सिंदूर, जानिए किसने क्या कहा

पहलगाम आतंकी हमले का बदला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च कर लिया गया। इसके बाद ‘सिंदूर’ एक शब्द नहीं, बल्कि लोगों की भावना बन गई। इसकी अनूठी मिसाल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में देखने को मिली। पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की मौत हो गई। आतंकियों ने चुन-चुन कर सिर्फ पुरुषों पर गोलियां चलाईं। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसके 15 दिन बाद भारत ने बदले की कार्रवाई के लिए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च किया। इस मिशन के जरिए भारत ने पाकिस्तान और पीओके के 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया। इसके बाद ‘सिंदूर’ एक शब्द नहीं, बल्कि लोगों की भावना बन गई। इसकी अनूठी मिसाल उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में देखने को मिली।कुशीनगर जिले में महज दो दिनों के भीतर जन्म लेने वाली 17 नवजात लड़कियों का नाम उनके परिजनों ने ‘सिंदूर’ रखा है। इन परिवारों के लिए ‘सिंदूर’ अब केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक गहरी भावना और देश के प्रति सम्मान का प्रतीक बन गया है। कुशीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरके शाही ने सोमवार को जानकारी देते हुए बताया कि उनके कॉलेज में दो दिनों के अंतराल में जन्मी 17 नवजात लड़कियों का नाम उनके परिजनों ने ‘सिंदूर’ रखा है।

‘सिंदूर’ शब्द नहीं, भावना: अर्चना शाही

कुशीनगर के भेड़िहारी गांव की निवासी अर्चना शाही, जिन्होंने एक बेटी को जन्म दिया है, ने बताया कि उन्होंने और उनके परिवार ने पहले से ही अपनी बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखने का फैसला कर लिया था। उनके पति अजीत शाही ने कहा, “‘सिंदूर’ शब्द हमारे लिए प्रेरणा है।” अर्चना शाही ने पहलगाम हमले की भयावहता और उसके बाद सेना की त्वरित कार्रवाई को याद करते हुए कहा, “पहलगाम हमले में कई महिलाओं ने अपने पति खो दिए। उसके बाद भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। हम सभी को इस पर गर्व है। अब ‘सिंदूर’ एक शब्द नहीं, बल्कि एक भावना है। इसीलिए हमने अपनी बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखने का फैसला किया।”

“सेना के इस ऑपरेशन को याद रखें”

पडरौना क्षेत्र के मदन गुप्ता के परिवार में भी इसी तरह की भावना देखने को मिला। उनकी बहू काजल गुप्ता ने एक बेटी को जन्म दिया और उसका नाम ‘सिंदूर’ रखा गया। मदन गुप्ता ने बताया कि जब से सेना ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया और पहलगाम में मारे गए लोगों की मौत का बदला लिया, तब से उनकी बहू की इच्छा नवजात बच्ची का नाम ‘सिंदूर’ रखने की थी। उन्होंने कहा, “हमने नवजात बच्ची का नाम ‘सिंदूर’ रखा, ताकि हम न सिर्फ सेना के इस ऑपरेशन को याद रखें, बल्कि इस दिन को उत्साह के साथ मनाएं।”

“बेटी में साहस भरने के लिए यह नाम रखा”

भठही बाबू गांव के व्यासमुनि की पत्नी भी अपनी नवजात बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखकर गर्व महसूस कर रही हैं। उन्होंने बताया कि वह अपनी बेटी में साहस भरने के लिए यह नाम रख रही हैं। उनका मानना है कि जब उनकी बेटी बड़ी होगी, तो वह इस शब्द का सही मतलब समझेगी और खुद को भारत माता के लिए कर्तव्य परायण नागरिक के रूप में प्रस्तुत करेगी।

“ऑपरेशन सिंदूर के प्रति मन में बहुत सम्मान”

पडरौना क्षेत्र की ही प्रियंका देवी भी उन माता-पिता में शामिल हैं जिन्होंने अपनी बेटी का नाम ‘सिंदूर’ रखा है। उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के प्रति उनके मन में बहुत सम्मान है और इसीलिए उन्होंने अपनी बेटी को यह नाम देने का निर्णय लिया।

ऑपरेशन सिंदूर से पहलगाम हमले का बदला पूरा 

गौरतलब है कि दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। इस कायराना हमले के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को पाकिस्तान और उसके कब्जे वाले कश्मीर में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था, जिसके तहत 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। इसके बाद पाकिस्तानी हमलों का जवाब देने के लिए की गई सभी कार्रवाइयों को भी ऑपरेशन सिंदूर के तहत ही अंजाम दिया गया। 

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