दुनिया में गुलाबी नगरी के नाम से मशहूर राजस्थान की राजधानी जयपुर को बसाने वाले पूर्व महाराजा सवाई जय सिंह की आज जयंती है। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने रविवार सुबह स्टेच्यू सर्किल पर दीप प्रज्वलित किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी।
राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने आज यानी रविवार को जयपुर के संस्थापक और उनके पूर्व महाराजा सवाई जय सिंह की जंयती के मौके पर स्टेच्यू सर्किल पहुंच दीप प्रज्वलित किया और उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव भी मौजूद रहीं।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि जयपुर को एक नियोजित शहर के रूप में बसाया गया था। जो अपने स्थापत्य और चौड़ी सड़कों के लिए विख्यात था और आज भी हम जयपुर शहर की सदियों पर योजनाबद्ध तरीके से बनी सुविधाओं का उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जयपुर अब एक यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सिटी है और ये हम सब की ज़िम्मेदारी है कि हम जयपुर की विकास तो संजोने का काम करे। दीया कुमारी ने ज़ोर देकर कहा कि हेरिटेज को बचाने के साथ ही शहर को स्वच्छ रखने की ज़िम्मेदारी न केवल सरकार और स्थानीय प्रशासन की है, बल्कि शहर के नागरिकों की भी है। इस मौक़े पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने आवाह्न किया कि जयपुर शहर को स्वच्छता के मामले में देश के टॉप तीन शहरों में शामिल करने के प्रयास किए जाएं।
पिछले साल एक करोड़ सैलानी आए जयपुर घूमने
पर्यटन सीजन में हर साल लाखों देशी विदेशी सैलानी राजस्थान घूमने के लिए आते हैं। विश्व स्तरीय सुविधाओं से लैस जयपुर पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। राजधानी जयपुर में कई विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हैं, जो पर्यटकों की पहली पसंद है।
इसी वजह से जयपुर उन्हें खासा रास आ रहा है। पिछले 11 महीने में गोवा से भी ज्यादा सैलानी जयपुर घूमने आ चुके हैं। जयपुर में हवामहल, जंतर मंतर, अल्बर्ट हॉल, आमेर फोर्ट, नाहरगढ़ फोर्ट और सिटी पैलेस सहित कई पर्यटन स्थल हैं। जो पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगह है। हर साल अक्तूबर से पीक सीजन शुरू होता है, जो दो महीने तक जारी रहता है। पिछले साल पीक सीजन में कुल एक करोड़ सैलानियों ने जयपुर भ्रमण किया।
सवाई जय सिंह का इतिहास
जयपुर शहर, जिसे 1727 में सवाई जय सिंह द्वितीय ने स्थापित किया था। भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण अध्यायों का साक्षी रहा है। जय सिंह का जन्म तीन नवंबर 1688 को हुआ था और उन्होंने इस शहर को एक विशेष वैदिक परंपरा के तहत निर्मित किया। जयपुर की स्थापना के सात वर्ष बाद, वर्ष 1734 में जयपुर का कीर्तिमान बढ़ाने के लिए सवाई जय सिंह ने जलमहल के सामने वरदराज की डूंगरी पर एक भव्य अश्वमेध यज्ञ का आयोजन किया था।
ऐतिहासिक अश्वमेध यज्ञ का आयोजन, यह यज्ञ न केवल जयपुर की सीमाओं के विस्तार के लिए, बल्कि शहर की खुशहाली और सम्राट बनने की आकांक्षा के प्रतीक स्वरूप किया गया था। यज्ञ का आयोजन काशी, दक्षिण भारत और देश के विभिन्न हिस्सों से आए पंडितों द्वारा वैदिक विधि-विधान के साथ संपन्न किया गया। दक्षिण भारत के यज्ञ विशेषज्ञ पंडित श्रीराम चंद्र द्रविड़ के नेतृत्व में यह अनुष्ठान किया गया। जयसिंह के गुरु गलता पीठाधिश्वर हर्याचार्य ने इस यज्ञ में प्रमुख भूमिका निभाई।
इस यज्ञ के दौरान जयसिंह ने अपने चार रानियों के साथ उपस्थित होकर पूरे विधि-विधान से यज्ञ संपन्न किया। इसमें उनके दोनों पुत्र – ईश्वर सिंह और माधोसिंह भी सम्मिलित हुए। उस समय राज दरबार में जगन्नाथ सम्राट, दीवान विद्याधर, राव कृपाराम, और कई अन्य प्रमुख व्यक्ति भी मौजूद थे।
वरदराज मंदिर की स्थापना
अश्वमेध यज्ञ की भव्यता को और अधिक प्रतिष्ठा दिलाने के लिए जयसिंह ने वरदराज विग्रह को जयपुर लाने का प्रयास किया। दक्षिण भारत के कांचीपुरम में स्थित इस विग्रह को लाने के लिए जयसिंह ने अपने सैनिकों को भेजा, ताकि वे यज्ञ में इसका प्रयोग कर सकें। इसके साथ ही जयसिंह ने जयपुर में विष्णु के अवतार वरदराज का मंदिर भी स्थापित किया, जो यज्ञ की पवित्रता और सवाई जयसिंह की धार्मिक आस्था को दर्शाता है।
वैदिक चित्रकार द्वारा यज्ञ की चित्र शृंखला
जयपुर के वैदिक चित्रकार रामू राम देव ने इस यज्ञ और जय सिंह के व्यक्तित्व को उकेरने का कार्य शुरू किया है। रामू राम ने पोथी खाना, सूरत खाना, ईश्वर विलास ग्रंथ, और वचन प्रमाण पुस्तकों का गहन अध्ययन किया है, ताकि इस ऐतिहासिक आयोजन को चित्रों में जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जा सके। इन चित्रों में वरदराज मंदिर, यज्ञ अनुष्ठान, और समकालीन विद्वानों व गणमान्य व्यक्तियों का उल्लेख होगा।
दीया कुमारी का जय सिंह को श्रद्धांजलि
जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जय सिंह की जयंती के अवसर पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने स्टेच्यू सर्किल पर दीप प्रज्वलित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर जयपुर नगर निगम हेरिटेज की महापौर कुसुम यादव भी उपस्थित रहीं। उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने जयपुर को एक नियोजित और वास्तुशिल्प में अद्वितीय शहर के रूप में मान्यता दी और इसके संरक्षित धरोहर के लिए समर्पण की बात की।