
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के बाद बहस करने के लिए कुछ दिनों की मोहलत दिए जाने की मांग की. मामले की अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी. अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती दरगाह को हिंदू मंदिर बताए जाने के दावे वाली अर्जी पर शनिवार (31 मई) को अजमेर की जिला कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की तरफ से केंद्र सरकार की आपत्ति पर जवाब दाखिल किया गया.
विष्णु गुप्ता के अधिवक्ता ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के बाद बहस करने के लिए कुछ दिनों की मोहलत दिए जाने की मांग की. अदालत में इस मामले में अब 19 जुलाई को अगली सुनवाई करने का फैसला किया है. 19 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई में न सिर्फ वादी पक्ष की तरफ से दलील पेश की जाएंगी, बल्कि दरगाह कमेटी समेत अन्य पक्षों की अलग-अलग अर्जियों पर भी सुनवाई होगी. अजमेर कोर्ट में 19 जुलाई को होने वाली सुनवाई से पहले इस मामले में 1 जुलाई को राजस्थान हाईकोर्ट में सुनवाई होगी. हाईकोर्ट को यह तय करना है कि अजमेर की जिला कोर्ट हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की अर्जी पर सुनवाई कर सकती है या नहीं.
हिंदू सेना को लगा था झटका
वहीं 19 अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के मुकदमे को खारिज किए जाने की सिफारिश की थी. केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय की तरफ से मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठाए गए और कहा गया कि हिंदू सेना का मुकदमा सुने जाने योग्य नहीं है. इस मुकदमे को खारिज कर दिया जाना चाहिए. केंद्र सरकार की इस सिफारिश से हिंदू पक्ष को बड़ा झटका लगा था.
‘दाखिल मुकदमे और उसके अनुवाद में फर्क’
केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय के जवाब में कहा गया कि हिंदू सेना के मुकदमे में कोई आवश्यक स्थिति होने का आधार नहीं दिया गया. इसके साथ ही भारत संघ को भी पक्षकार नहीं बनाया गया. अंग्रेजी में दाखिल किए गए मुकदमे का हिंदी अनुवाद भी ठीक से नहीं किया गया. अंग्रेजी में दाखिल मुकदमे और उसके अनुवाद में फर्क है. 27 नवंबर 2024 को हुई सुनवाई में पारित आदेश में विपक्षी पार्टियों को सुनवाई का मौका भी नहीं दिया गया. ऐसे में इस मुकदमे को खारिज कर उसे वापस लौटा देना चाहिए.
मुस्लिम पक्ष ने जताई थी संतुष्टि
हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि इस मामले में कानूनी राय लेकर उचित जवाब दाखिल कर दिया गया है. केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मंत्रालय ने तकनीकी आधार पर मुकदमे को खारिज किए जाने की सिफारिश की थी. तकनीकी कमी को सुधार किया जा रहा है. केंद्र सरकार के इस फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने संतुष्टि जताई थी. खादिमों की अंजुमनों के अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह का कहना है कि इस मामले में हम लोग यानी मुस्लिम पक्ष शुरू से ही मुकदमे की पोषणीयता पर सवाल उठा रहे थे और उसे खारिज करने की अपील कर रहे थे.
‘सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश’
अधिवक्ता आशीष कुमार सिंह के मुताबिक केंद्र सरकार की सिफारिश के बाद यह साफ हो गया है कि मुकदमा सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिए दाखिल किया गया था. इसका कोई आधार नहीं था. इसके जरिए आपसी सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई थी. गौरतलब है कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने पिछले साल अजमेर की जिला कोर्ट मे अर्जी दाखिल कर यह दावा किया था कि जिस जगह पर अभी दरगाह है, वह पहले संकट मोचन शिव मंदिर था, इसलिए वह जगह हिंदुओं को सौंप दी जानी चाहिए और वहां पूजा पाठ की इजाज़त देनी चाहिए.