
उत्तर प्रदेश में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए एक बार फिर एक सप्ताह का और समय मिलना लगभग तय है। बीएलओ की ओर से करीब 17.7% (पौने तीन करोड़) मतदाताओं के गणना फॉर्म इकट्ठा न हो पाने की रिपोर्ट दी गई है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार, इसे देखते हुए प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने चुनाव आयोग से एसआईआर के लिए और समय देने का अनुरोध करने का फैसला किया है।
नया फैसला 11 दिसंबर से पहले कभी भी आ सकता है। इससे पहले 30 नवंबर को गणना फॉर्म भरने की तिथि 4 दिसंबर से बढ़ाकर 11 दिसंबर की गई थी। प्रदेश में 15.44 करोड़ से ज्यादा मतदाता हैं। चुनाव आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गणना प्रपत्रों के डिजिटाइजेशन का काम 97.3% पूरा हो चुका है।
17.7% फॉर्म जमा होने की स्थिति में ही नहीं
प्रदेश में 80% गणना फॉर्म वापस आ चुके हैं, जबकि 17.7% फॉर्म जमा हो पाने की स्थिति में ही नहीं हैं। यह आंकड़ा बड़ा है। इसलिए यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने सभी राजनीतिक दलों से अनुरोध किया है कि वे इन फॉर्मों को संग्रहित करवाने में मदद करें। सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को निर्देशित किया कि चेक कराएं कि क्या वाकई इन फॉर्मों के वापस आ पाने की स्थिति नहीं है।
अभी गणना प्रपत्र भरने की अंतिम तिथि 11 दिसंबर, प्रपत्र भरकर वापस करने के लिए अंतिम तिथि 11 दिसंबर दी गई है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय, उत्तर प्रदेश के अनुरोध को देखते हुए एक सप्ताह का समय और दिया जा सकता है।
योगी की नसीहत: एसआईआर लोकतंत्र के लिए बूस्टर… घुसपैठियों की करें पहचान
गाजियाबाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) लोकतंत्र के लिए बूस्टर डोज है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों का आह्वान किया कि बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान कर उनके नाम वोटर लिस्ट से हटवाएं और उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजने की प्रक्रिया शुरू करें।
सीएम योगी सोमवार को एसआईआर की समीक्षा के लिए पहुंचे थे। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से कहा कि शादी के कार्यक्रमों में कम जाएं और जनता के बीच ज्यादा रहें। आगरा, मुरादाबाद में भी उन्होंने बैठक कर एसआईआर के कार्य की जानकारी ली।
जनप्रतिनिधियों से कहा, ज्यादा से ज्यादा पात्र लोगों के फॉर्म जमा करवाकर उनके नाम मतदाता सूची में शामिल किए जाएं। ऐसे घरों में जाकर बात करें, जहां अभी शादियां हुई हैं। लड़कियों के ससुराल जाने के बाद उनका वोट एक ही जगह हो। कई बार मायके और ससुराल दोनों जगह वोट बन जाते हैं। इससे हैं। इससे गणना में में दिक्कत हो सकती है।



